दिल्ली के बुराड़ी (हिरंकी) में केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है, जिसे श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट बना रहा है. इसकी तैयारियां इतनी तेजी से चल रही हैं कि दिल्ली आने वाले मार्गों पर बड़े-बड़े होर्डिंग तक लगा दिए गए हैं. केदारनाथ, बदरीनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित और रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ, ओंकारेश्वर के आस पास रहने वाले लोग इस पर ऐतराज जता रहे हैं. उन्होंने ऐतराज जताया है कि आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसी दिन क्यों दिल्ली में उस कार्यक्रम में गए, जब उत्तराखंड से 5 जवान शहीद हो गए थे. इतना ही नहीं उसी दिन केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन भी हुआ था.
कांग्रेस का आरोप है कि न केवल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली के कार्यक्रम में पहुंचे हैं बल्कि, मंदिर ट्रस्ट को केदारनाथ से शिला ले जाने की परमिशन भी दी. उधर, पूरे मामले पर तीर्थ पुरोहित समाज तो विरोध में उतरा ही, संतों में सर्वोच्च पद पर बैठे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे धर्म ग्रंथों के साथ खिलवाड़ बताया है. वहीं, मामले में सीएम धामी का कहना है कि पूरी दुनिया में केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग एक ही हो सकता है. इसके अलावा कोई भी उसका स्थान नहीं बदल सकता. मंदिरों के प्रतीकात्मक कई जगहों पर बने हैं, लेकिन केदारनाथ ज्योतिर्लिंग एक ही हो सकता है.
12 करोड़ में बनेगा दिल्ली में केदारनाथ धाम
वहीं, केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के प्रबंधक जितेंद्र फुलारा का कहना है कि वो कोई फर्जी काम नहीं कर रहे हैं, उन्होंने अपने ट्रस्ट को रजिस्टर्ड करवा रखा है. केदारनाथ धाम बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन है. केदारनाथ भगवान में सभी की आस्था है. अगर दिल्ली में यह मंदिर बन रहा है तो इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. यहां पर पूजा पाठ के अलावा दूसरा कोई काम नहीं होगा. इस मंदिर को बनाने में शुरुआती दौर में अनुमानित 12 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है. यह सभी दान ट्रस्ट के लोग और मंदिर से जुड़े लोग दे रहे हैं.
हूबहू नहीं पर भगवान शिव उसी सूरत में होंगे विराजमान:
केदारनाथ मंदिर की शैली पर जितेंद्र फुलारा कहते हैं यह मंदिर बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह बनेगा यह कहा नहीं जा सकता है. क्योंकि, वहां पर जो पत्थर लगे हैं, वो सैकड़ों साल पुराने हैं. हूबहू ऐसा मंदिर बनाना पॉसिबल नहीं है. केदारनाथ एक ही है और वो उत्तराखंड में है. यहां पर हम भगवान शिव का दूसरा स्थान बना रहे हैं. जैसे अन्य मंदिर दूसरे राज्यों में बने हुए हैं. दिल्ली के केदारनाथ धाम को लेकर किसी का कोई विरोध नहीं होना चाहिए