उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत की परेशानियां आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली हैं. उत्तराखंड वन विभाग के कालागढ़ टाइगर सफारी घोटाला केस में हरक सिंह रावत और उनसे जुड़े करीबियों के ठिकानों पर देशभर में ईडी ने एक साथ छापेमारी की हैं.ईडी ने उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के घरों पर भी छापेमारी कर खलबली मचा दी हैं है.
पूर्व डीएफओ किशनचंद के हरिद्वार स्थित आवास और महिला से छेड़छाड के मामले में सुर्खियों में आए IFS अधिकारी सुशांत पटनायक के घर पर भी ईडी ने रेड मारी हैं . जिसमें सुशांत पटनायक के घर से करोड़ों का कैश बरामद हुआ. कैश गिनने के लिए बाहर से कई मशीनें मंगवानी पड़ी हैं. पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी हरियाणा निवासी दो डॉक्टर भाइयों के घर पर भी ईडी ने रेड मारी हैं. इसके अलावा ईडी की अलग-अलग टीमों ने चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तराखंड में छापामारी कर रिकॉर्ड अपने कब्जे में लिए हैं.
हरक सिंह रावत के खिलाफ स्टिंग प्रकरण की भी चल रहीं हैं जाँच
साल 2016 में उत्तराखंड में बजट सत्र के दौरान हरक सिंह रावत सहित 9 विधायकों ने तत्कालीन हरीश रावत सरकार को तगड़ा झटका दिया था. बजट सत्र के दौरान हरक सिंह रावत अविश्वास प्रस्ताव लाये. इस दौरान कांग्रेस के 9 विधायकों ने हरीश रावत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. जिसके कारण उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा. तब कांग्रेस के 9 विधायक बीजेपी में शामिल हो गये थे. इसी दौरान स्टिंग प्रकरण हुआ था. जिस मामले में भी सीबीआई जांच चल रही है. जिसका सामना हरक सिंह रावत भी कर रहे हैं.
समाज कल्याण विभाग में अनियमितता
2018 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में हरक सिंह रावत कों समाज कल्याण विभाग का भी मंत्री बनाया गया था.उस दौरान भी समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के कारण तब भी मंत्री हरक सिंह रावत खासी चर्चाओं में रहें थे, इस दौरान उन पर कई तरह की अनियमितताओं के आरोप लगते रहे. इसके साथ ही हरक सिंह रावत के अधीन वन विभाग भी इससे अछूता नहीं रहा.
बीजेपी से निष्कासान के बाद कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत की बढ़ी मुश्किलें
भारतीय जनता पार्टी से निष्कासान के बाद से ही कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत से जुड़े विवाद सामने आते रहे.ज़ब हरक सिंह रावत बीजेपी में थे,तब इन विवादों को उतनी हवा नहीं मिली, जितनी अब मिल रहीं हैं.2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत की तभी से मुश्किलें बढ़ती चली गई.कांग्रेस ने हरक सिंह रावत कों विधानसभा का टिकट नहीं दिया बल्कि उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को लैंसडाउन विधानसभा से चुनाव लड़वाया,लेकिन वह चुनाव हार गई. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद हरक सिंह रावत के खिलाफ कार्रवाई का दौर जारी है.अब तक कई बार उनके ठिकानों पर ईडी की छापेमारी हो चुकी है. इससे पहले उनके कॉलेज पर भी छापेमारी की गई.
हरक सिंह रावत से जुड़े प्रतिष्ठानों पर विजिलेंस भी कर चुकी हैं कार्रवाई
पिछले दिनों तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर विजिलेंस की टीम ने भी छापेमारी की थी.विजिलेंस की छापेमारी में हरक सिंह रावत से जुड़े प्रतिष्ठानों से तब भी महत्वपूर्व दस्तावेज और लाखों की क़ीमत वाले 2 सरकारी जनरेटर बरामद किए गए थे.
कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामले में सीबीआई जांच
कॉर्बेट में 6 हजार पेड़ काटने के मामले में भी हरक सिंह रावत पर CBI शिकंजा कस रहीं है. नैनीताल हाईकोर्ट ने बीते दिनों इस मामले में सुनवाई करते हुए CBI जांच के आदेश दिये हैं. विभागीय जाँच के बाद विजिलेंस की जाँच में भी कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पाखरों में टाइगर सफारी के नाम पर करोड़ों की वित्तीय अनियमिताओं और 6 हजार से अधिक पेड़ों के अवैध पातन की बात सामने आई थी, जिसमें 2 DFO के साथ ही दूसरे वन अधिकारियों कों निलंबित किया गया था.
ED और CBI की कार्यवाही से क्या खत्म होगा हरक का सियासी करियर!
बीते दो सालों में हरक सिंह रावत सरकारी जांच एजेंसियों की रडार पर हैं. हर दूसरे दिन हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की खबरें सामने आती हैं. विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, सभी से पहले छापेमारी की कार्रवाई के कारण हरक सिंह रावत बैकफुट पर नजर आते हैं. अब लोकसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत के ठिकानों और उनके करीबियों के घर छापेमारी हुई है. जिससे आने वाले चुनावों में हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यही कारण है कि बीते दिनों हरक सिंह रावत ने लोकसभा चुनाव लड़ने से भी इंकार किया था. उनकी हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं थी.राज्य बनने के बाद पहला अवसर था ज़ब 2022 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने चुनाव नहीं लड़ा,तब कहा जा रहा था कि हरक सिंह रावत लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. मगर अब लोकसभा चुनाव से पहले उन पर एक्शन हुआ है. जिससे उनके सियासी करियर पर भी असर पड़ सकता है.