बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे को सरकार सबसे ऊंचा सम्मान देने जा रही है. बता दें कि 1990 में आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथयात्रा निकालकर राममंदिर आंदोलन को नई दिशा दी थी. हालांकि आडवाणी ने अपनी आत्मकथा ‘माई कंट्री माई लाइफ़’ में लिखा था कि मैंने जो किया, वो कोई बलिदान नहीं था. वो एक तार्किक आकलन का नतीजा था कि क्या सही है और पार्टी और देश के हित में क्या है.
आडवाणी की उम्र 96 साल है. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को अविभाजित भारत के सिंध प्रांत (लाहौर) में हुआ था. आडवाणी के पिता का नाम था कृष्णचंद डी आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था. आडवाणी की स्कूली पढ़ाई पाकिस्तान के कराची में हुई. उन्होंने सिंध में कॉलेज में दाखिला लिया. जब देश का विभाजन हुआ तो उनका परिवार मुंबई आ गया. यहां उन्होंने कानून की शिक्षा ली. आडवाणी जब 14 साल के थे तभी संघ से जुड़ गए थे
आडवाणी ने बदल दी थी राजनीति की धारा
आडवाणी साल 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित जनसंघ से जुड़े. 1977 में जनता पार्टी से जुड़े फिर 1980 में बीजेपी की स्थापना की. भाजपा के साथ आडवाणी ने राजनीति की धारा बदल दी. आडवाणी ने आधुनिक भारत में हिन्दुत्व की राजनीति से प्रयोग किया. उनका ये प्रयोग सफल रहा. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की लहर में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महज 2 सीटें जीतीं थी. 1989 में बीजेपी ने राम जन्मभूमि आंदोलन को औपचारिक समर्थन देना शुरू कर दिया था. इसका फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में पहुंचा. लिहाजा पार्टी 2 सीटों से बढ़कर 86 सीटों पर पहुंच गई
रथयात्रा, हाई वोल्टेज भाषण और गिरफ्तारी
इसके बाद आडवाणी पूरी ताकत के साथ इस आंदोलन से जुड़ गए. 25 सितंबर 1990 को राममंदिर निर्माण के लिए उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथयात्रा निकाली. इस रथ यात्रा से हिन्दी पट्टी राज्यों में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा. आडवाणी ने यहां हाई वोल्टेज भाषण दिया और सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा लगाया. हालांकि रथ यात्रा के दौरान भारत में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के बीच साम्प्रदायिक वैमनस्य का भाव भी पनपा. रथयात्रा आगे बढ़ती गई और बिहार में पहुंची. 7 महीने पहले बिहार के सीएम बने लालू यादव तब राजनीति के युवा थे.
42 साल के लालू यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा रोकने का प्लान बनाया. लालू ने अपने दो अफसरों को इस मिशन पर भेजा. रात होते ही प्रशासन ने शहर का टेलीफोन एक्सचेंज डाउन करवा दिया. 22-23 अक्टूबर की दरम्यानी रात को आडवाणी रथ यात्रा को विराम देकर समस्तीपुर सर्किट हाउस में रुके थे. सुबह पौने पांच बजे उनके दरवाजे पर दस्तक हुई और आडवाणी को बताया गया कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. आडवाणी ने अफसरों से कागज मांगा, उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के नाम एक पत्र लिखकर केंद्र की वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया. आडवाणी गिरफ्तार कर लिए गए. भारत की सरकार गिर गई.
हवाला कांड में शामिल होने का आरोप और बेदाग बरी
1991 के लोकसभा चुनाव में आडवाणी की रथयात्रा से बीजेपी को फायदा हुआ. बीजेपी की सीटें 120 तक पहुंच गई. 1992 में अयोध्या आंदोलन फिर परवान चढ़ने लगा. दिसंबर 1992 में फिर से कार सेवा का ऐलान किया गया. सीएम कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया कि उनकी सरकार मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देगी. लेकिन 6 दिसंबर 1992 को वीएचपी, बजरंग दल और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया और मस्जिद की एक-एक ईंट उखाड़कर मलबे पर अस्थायी मंदिर बना दिया. इस दौरान लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी आसपास ही मौजूद रहे. 1995 में आडवाणी ने वाजपेयी को पीएम पद का दावेदार बताकर सबको हैरानी में डाल दिया था. 1996 में आडवाणी पर हवाला कांड में शामिल होने का आरोप लगा, विपक्ष उनपर उंगली उठाता इससे पहले ही उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. बाद में वे उस मामले में बेदाग बरी हुए.