उत्तराखंड कोटद्वार
2025 के निकाय चुनाव के परिणामों के बाद कोटद्वार में एक ओर जहाँ भारतीय जनता पार्टी में जश्न का मौहाल हैँ तों वहीं दूसरी ओर हार के बाद कांग्रेस के अंदर पिछले कुछ समय से चल रहीं आपसी खींचतान खुलकर सामने आ गईं हैँ. कांग्रेस पार्टी नें मेयर पद पद पर रंजना रावत जबकि भाजपा नें शैलेन्द्र सिंह रावत पर दांव खेला था, जिस पर शैलेन्द्र सिंह रावत भारी पड़े और उन्होंने इस चुनावी रण में कांग्रेस की रंजना रावत कों रिकॉर्ड 14232 वोटों से हराकर जीत दर्ज की.रंजना रावत की हार के बाद कांग्रेस पार्टी नें कोटद्वार में जों समीक्षा की उसमें सीधे तौर पर चुनाव के दौरान हुए भीतरघात की उसने बात कहीं.
कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष नें हार के लिए महानगर कांग्रेस कों ठहराया ज़िम्मेदार
कोटद्वार में कांग्रेस पार्टी की मेयर पद पर हुईं हार के बाद कांग्रेस के अंदर चल रहीं अंदरुनी कलह भी अब खुलकर सामने आ गईं. कांग्रेस पार्टी के ज़िलाध्यक्ष नें तों प्रेस कॉन्फ्रेस में यह तक क़ह दिया कि कांग्रेस पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी रंजना रावत की हार के लिए महानगर कांग्रेस के वह पदाधिकारी ज़िम्मेदार हैँ जिन्होंने रंजना का टिकट घोषित होते ही कांग्रेस कों हरानें के लिए घर बैठना शुरू कर दिया था और वह पूरे चुनाव में उसके खिलाफ काम करतें रहें.कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष विनोद डबराल नें कहा कि उनके द्वारा इसकी शिकायत कांग्रेस प्रदेश आलाकमान से कर दी गईं हैँ.इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी के ज़िलाध्यक्ष विनोद डबराल नें बिना कांग्रेस दिग्गज सुरेन्द्र सिंह नेगी का नाम लिए यह तक क़ह दिया कि कांग्रेस के एक बड़े नेता पूरे चुनाव में घर बैठें रहें और पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी कों हराने के लिए काम करतें रहें.कोटद्वार में कांग्रेस पार्टी के अंदर मचे इस तूफ़ान में तों असली भूचाल तब आयेगा ज़ब कांग्रेसी दिग्गज सुरेन्द्र सिंह नेगी इस पूरे प्रकरण पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे.उधर दूसरी ओर महानगर कांग्रेस कमेटी कों लेकर जिलाध्यक्ष द्वारा खड़े किए गए सवालों के जवाब में महानगर अध्यक्ष संजय मित्तल नें साफ किया कि उनकी पूरी टीम कांग्रेस पार्टी के लिए घर-घर प्रचार कर रहीं थी और इसके बकायदा चुनाव के दौरान बनाएं गए वीडियो और फोटो उनके पास हैँ. इसलिए कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष कों आरोप सोच समझ कर लगाने चाहिए.हालांकि इस पूरे मामलें में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी शुरू से लेकर अभी तक चुपचाप हैँ लेकिन उनकी यह ख़ामोशी किसी बड़े राजनीतिक तूफ़ान की ओर इशारा जरूर कर रहीं हैँ.
पार्टी फ़ोरम के बजाय मीडिया फोरम पर कांग्रेस कर रहीं हार की चर्चा
कोटद्वार में मेयर पद पर मिली हार के बाद कांग्रेस के अंदर जों घमासान मचा हुआ हैँ वह उसके लिए शुभ संकेत नहीं हैँ. रंजना रावत के लिए चुनाव प्रचार से खुद कों किनारे रखना कोटद्वार के कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी के अपने कुछ स्वार्थ हों सकतें हैँ लेकिन इससे पार्टी कों करारी हार झेलनी पड़ी हैँ और उसके दर्जनों पार्षद पद के प्रत्याशी भी चुनाव हार गए. हारे हुए पार्षद पद के प्रत्याशियों में भी अब गुस्सा दिख रहा हैँ और वह भी अब अपने बड़े नेताओं के खिलाफ जहर उगल रहें हैँ.कुल मिलाकर यदि देखा जाए तों कांग्रेस पार्टी कोटद्वार में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहीं हैँ और उन्हीं के नेता आपस में एक दूसरे पर कीचड़ उछालनें का काम कर रहें हैँ.अच्छा होता मीडिया फ़ोरम की जगह कांग्रेस पार्टी फोरम में इन बातों कों रखती और हार के लिए दोषी लोगों से स्पष्टीकरण माँगती.लेकिन पार्टी की अंदरूनी बातें मीडिया के जरिए जगजाहिर होंने के बाद यह मामला अब और गरमा गया हैँ और फिलहाल यह थमता नजर नहीं आ रहा हैँ.
हार के बावजूद कांग्रेस नेत्री रंजना जीत गईं कोटद्वार का चुनाव
कोटद्वार नगर निगम चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रंजना रावत भले ही चुनाव हार गईं हों लेकिन चुनाव में मिलें उन्हें 23941 मत यह बताने के लिए काफी हैँ कि उनकी लोकप्रियता जनता के बीच बढ़ती जा रहीं हैँ.चुनाव के दौरान रंजना रावत का डोर टू डोर जों चुनावी कैम्पेन रहा उससे वह कोटद्वार की राजनीति में और मजबूत हुईं हैँ. हालांकि कॉंग्रेसी दिग्गज सुरेन्द्र सिंह नेगी के राजनीतिक आशीर्वाद के बिना रंजना रावत की भावी चुनावी नैया पार लगनी मुश्किल हैँ.लेकिन मेयर पद पर उसे जों सीमित संसाधनों और बिना स्टार प्रचारकों के जनता का विशेषकर मातृशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ उससे उसकी कोटद्वार में राजनीतिक नीव और मजबूत हों गईं हैँ.