बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथ यात्रा

उत्तराखंड टिहरी..देवभूमि उत्तराखंड अपने प्राचीन और पौराणिक मठ मंदिरों कें लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी विख्यात हैँ.यहां कें हर मठ मंदिर कें साथ क़ोई न क़ोई रहस्य और पौराणिक मान्यता छुपी होती हैँ, जों इन्हे ख़ास बनाती हैँ.

ऐसा ही एक पौराणिक स्थल जनपद टिहरी की घनसाली तहसील कें विशोन पर्वत पर स्थित हैँ जिसे भगवान विश्वनाथ कें धाम कें रूप में पूजा जाता हैँ.पौराणिक मान्यताओं कें अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र और प्रभु श्री राम कें गुरु महर्षि वशिष्ठ ने यहीं पर तप किया था.इस पौराणिक स्थल की दिव्यता का इसी बात सें अंदाजा लगाया जा सकता हैँ कि इसका वर्णन केदारखंड में भी प्रमुखता कें साथ मिलता हैँ. इस स्थान पर भगवान भोले नाथ कें स्वयंभू शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती हैँ, जों इस पूरे इलाकें कें रक्षक देवता कें रूप में आज भी विराजमान मानें जाते हैँ. इतना ही नहीं यहीं वह स्थान हैँ
जहाँ पर स्वामी राम नें योग निद्रा में अपने शरीर को नियंत्रित करने कें लिए तप किया था.डॉ स्वामी राम एक योगी थे जिन्होने ‘ हिमालयन इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ योगा साइंस एंड फिलासफी’ सहित अनेकानेक संस्थानों की स्थापना की.
इस पौराणिक स्थान कें बारे में जानकारी देतें हुए पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी बताते हैँ कि बचपन में उन्हें भी इस स्थान कें सपने आते थे और वह भी अकेले तब घनघोर जंगलों सें गुजरते हुए हिमालय की कांदराओं में स्थित इस स्थान पर पहुँचे थे.मंत्री प्रसाद नैथानी आगे बताते है कि भगवान विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथ यात्रा जों आज पूरे उत्तराखंड में जग कल्याण और विश्व शांति कें लिए निकाली जा रहीं हैँ यह भी उसी बाबा का आदेश हैँ कि बाबा की डोली हर साल देवभूमि उत्तराखंड का भ्रमण कर सभी कें सुखमय ज़ीवन की कामना करेंगी.


इस साल भी बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथ यात्रा नें उत्तराखंड कें सभी 13 ज़िलों का 24वीं बार भ्रमण किया. इस यात्रा कें संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी कहते हैँ कि उत्तराखंड की सबसे लंबी इस धार्मिक यात्रा नें इस बार 10632 किमी का सफर तय किया और 22 सौ सें अधिक देवालयों, मठ,मंदिरों में अपनी हाजरी लगातें हुए चारों धामों कें भी दर्शन किए. चार धामों की तर्ज पर उत्तराखंड में एक हजार धाम चिन्हित करने की बात करते हुए मंत्री प्रसाद नैथानी नें कहा कि प्रदेश में पर्यटन कें साथ साथ तीर्थाटन को भी बढ़ावा मिलना चाहिए तभी जाकर उत्तराखंड की देव संस्कृति संरक्षित हों पायेगी.

घनसाली सें 30 किमी की दूरी पर स्थित बजियाल गांव और यहाँ सें 5 किमी की पैदल दूरी पर स्थित नीलाछाडा में भगवान विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथ यात्रा ज़ब समापन कें दिन विशोन पर्वत सें धार्मिक अनुष्ठानों और हवन के बाद पहुँचती हैँ तो हजारों की संख्या में पहुँचे श्रद्धालु उसका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. इसीदिन यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मेले का आयोजन होता हैँ,जिसका सभी आनंद उठाते हैँ.