राम मंदिर बनाने के बावजूद प्रतिष्ठा की अयोध्या सीट हार गईं बीजेपी..

500 वर्षों के बाद अयोध्‍या में राम मंदिर बन रहा है. 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण-प्रतिष्‍ठा कार्यक्रम भी हुआ जिसमें देश-विदेश के लोगों ने शिरकत की. बीजेपी के लिए तीन दशक से राम मंदिर आंदोलन एक भावनात्‍मक, विचारधारात्‍मक मुद्दा बना रहा लेकिन जब यह काम पूरा हो रहा है तो इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ये सीट क्‍यों हार गई? ये इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि पुराने चुनावी अभियान के दौरान बीजेपी ने इस मुद्दे को जमकर उछाला. फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत ये क्षेत्र आता है. बीजेपी की तरफ से इस सीट से लल्‍लू सिंह तीसरी बार सांसद बनने की राह देख रहे थे लेकिन सपा के दलित चेहरे और नौ बार विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने उनको 54 हजार से अधिक मतों से हरा दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्‍या वजह रही कि ये प्रतिष्ठित सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई?

 

इस बार के लोकसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे रहें हावी 

अयोध्‍या की जमीनी हकीकत पर नजर रखने वाले विश्‍लेषकों का ये कहना है कि दरअसल यहां के स्‍थानीय मुद्दे इस बार चुनावों में हावी हो गए. दरअसल राम मंदिर निर्माण कार्य जब से शुरू हुआ तब से अयोध्‍या के चहुंओर विकास के नाम पर आसपास की जमीनों का भी अधिग्रहण किया जा रहा है. स्‍थानीय लोगों को उम्‍मीद थी कि उनके लिए दुकानें या रोजगार के कुछ अवसर उपजेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दलित चेंहरे पर समाजवादी पार्टी नें लगाया दांव 

सपा ने अवधेश प्रसाद के रूप में दलित चेहरे को उतार दिया. इसको सपा की बड़ी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है क्‍योंकि एक जनरल सीट पर अखिलेश यादव ने बीजेपी की काट के लिए यहां पर दलित चेहरे पर भरोसा जताया.

संविधान बदले जानें के मुद्दे कों सपा नें जमकर भुनाया 

इसको इस तरह से भी देखा जा सकता है कि एक तरफ बीजेपी की तरफ से जहां लल्‍लू सिंह बीजेपी के उन नेताओं में शुमार रहे जिन्‍होंने कहा कि संविधान में बदलाव के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने की जरूरत है, उसी का जवाब सपा ने दलित नेता अवधेश प्रसाद के रूप में दिया. अवधेश प्रसाद ने अपनी रैलियों में कहा कि यदि बीजेपी जीती तो संविधान बदल दिया जाएगा और आरक्षण खत्‍म कर दिया जाएगा. इसका नतीजा ये हुआ कि सपा के कोर वोटरों के साथ दलितों को भी साधने में पार्टी सफल रही.

राम मंदिर निर्माण का भाजपा कों नहीं मिला फायदा 

स्‍थानीय लोगों के मुताबिक यहां के लोगों को राम मंदिर निर्माण कार्य से कोई फायदा होता नहीं दिख रहा. जो भी लाभ हो रहा है वो बाहरियों को हो रहा है. इसी तरह स्‍थानीय लोगों की तुलना में बाहरी लोगों के लिए ये अधिक भावनात्‍मक मुद्दा है.

लल्लू सिंह कों फिर पार्टी प्रत्याशी बनाने से नाराज थे लोग 

बीजेपी प्रत्‍याशी लल्‍लू सिंह के खिलाफ भी लोगों में नाराजगी थी. स्‍थानीय लोगों के मुताबिक उन्‍होंने कोई खास काम नहीं किए. वो बस राम मंदिर के मुद्दे पर फोकस करते रहे. लेकिन वो ये बात भूल गए कि राम मंदिर निर्माण कार्य के साथ ही अब ये मुद्दा नहीं रहा.