सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ कांवड़ यात्रा भी शुरू हो चुकी है. सावन माह में शिव भक्त गंगातट पर कलश में गंगाजल भरते हैं और उसको कांवड़ पर बांध कर कंधों पर लटका कर अपने अपने इलाके के शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं.कांवड़ यात्रा को लेकर इस बार भी शिवभक्तों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं और जीवन के सभी संकटों को दूर करते हैं. पुराणों में बताया गया है कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सहज रास्ता है.
आइए जानते हैं कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा की परंपर
भारत माता मंदिर हरिद्वार कें संत एवं निरंजनी अखाड़े कें महामडलेश्वरस्वामी ललितानंद महाराज कें अनुसार सबसे पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने पहली बार कांवड़ यात्रा शुरू की थी. श्रवण कुमार ने अंधे माता पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाने के लिए उन्हें कांवड़ पर बैठाया था.श्रवण कुमार के माता पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा प्रकट की थी, माता पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार कांवड़ में ही उन्हें हरिद्वार ले गए और उनको गंगा स्नान करवाया.वापसी में वे गंगाजल भी साथ लेकर गए थे, तभी सें से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी.
कावड़ यात्रा कों लेकर दूसरी मान्यता
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी.परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए थे और यूपी के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का गंगाजल से अभिषेक किया था. उस समय सावन मास ही चल रहा था, इसी के बाद से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई.आज भी इस परंपरा का पालन किया जा रहा है.लाखों भक्त गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर जाते हैं और पुरा महादेव पर जल अर्पित करते हैं.
देश में इन स्थानों पर होती है सावन माह की पवित्र कावड़ यात्रा
* नर्मदा से महाकाल तक
* गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक
* गंगा से बैजनाथ धाम (बिहार) तक
* गोदावरी से त्र्यम्बक तक
* गंगाजी से केदारेश्वर तक
इस बार 2 माह चलेंगी सावन माह की पवित्र कावड़ यात्रा
सावन की शुरुआत 4 जुलाई, मंगलवार से हो चुकी है और समापन 31 अगस्त को होगा. सावन का महीना भगवान शिव का बेहद प्रिय माना जाता है. इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन का पहला सोमवार व्रत 10 जुलाई को है, दूसरा सोमवार व्रत 17 जुलाई को है, तीसरा सोमवार व्रत 24 जुलाई, चौथा 31 जुलाई, पांचवा 7 अगस्त, छठा 14 अगस्त, सातवां 21 अगस्त, आठवां 28 अगस्त को है.