हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण जरुरी , बचा सकते हैं अपना लीवर : डॉ. अलोक मिश्रा।

प्रयागराज,यूपी। अक्सर कहा जाता है कि हेपेटाइटिस बी एचाईवी वाइरस की तरह होता है , एक बार होने पर ठीक नहीं हो सकता है. एक तरह से हेपेटाइटिस हमारे लीवर को प्रभावित करते हैं , लोगों में पीलिया के लक्षण देखने को मिलते हैं. हेपेटाइटिस के कई प्रकार हैं जिसको हेपेटाइटिस A से हेपेटाइटिस E तक नाम दिया गया है, इनमें से हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C ज्यादा खतरनाक होता है।

हेपेटाइटिस का इलाज संभव


AT Samachar के रिपोर्टर से बात करते हुए मशहूर गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ.अलोक मिश्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और सी दोनों का इलाज है, हेपेटाइटिस बी का टीका भी उपलब्ध है जो सबको लगवाना चाहिए, कहा जाता है हेपॅटाटिस बी का टीका पहला कैंसर से बचाव का टीका है, हालाँकि डॉ.अलोक मिश्रा ने बताया कि हेपॅटाटिस बी के 95% मरीज ठीक हो जाते हैं, 5% मरीजों में कम्प्लेकशन आता है. हेपॅटाटिस सी लीवर का कैंसर होता है टीका तो नहीं है लेकिन इलाज है।

हेपॅटाटिस बी की जाँच करवानी चाहिए।


डॉ.मिश्रा ने बताया कि ब्लड के माध्यम से हेपॅटाटिस के वाइरस शरीर में जाते हैं वो किसी माध्यम से हो, हेपॅटाटिस बी के लक्षण उलटी, दस्त, आँखों का पीला होना, पीलिया से पता तो चल जाते हैं लेकिन बहुत केसों में ऐसा होता है जहाँ कोई लक्षण कई – कई सालों यहाँ तक कि दशकों तक नहीं दिखाई देते हैं और शरीर में वाइरस रहते हैं और लीवर को नुक्सान करते रहते हैं, इसलिए हेपॅटाटिस बी की जाँच करवानी चाहिए।


डॉ.अलोक मिश्रा ने यह भी बताया कि अगर परिवार में किसी को हेपॅटाटिस बी है तो पूरे परिवार को जाँच कराकर टीकाकरण जरूर कराना चाहिए, वे निगेटिव हों तो भी उनको टीकाकरण जरूर कराना चाहिए. हेपॅटाटिस लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन वाइरस को नूट्रलाइट करने में लम्बा इलाज चलता है।

प्रॉपर टिका लगवाए


डॉ. मिश्रा के अनुसार तीन टीके लगते हैं जो एक बार लगने के बाद एक महीने बाद दूसरा और छह महीने पर तीसरा, हेपॅटाटिस बी और सी के कोई बाहरी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन अगर मरीज उलटी दस्त या उसकी त्वचा पीली पड़ने की शिकायत करता है तो हेपॅटाटिस की जाँच जरूर कराएं. एक जनरेशन से दूसरे जनरेशन में यह वाइरस नहीं फैलता है जब तक ब्लड का संपर्क न हो, बाकी हाथ मिलाने, गले मिलने, साथ खाना खाने आदि से हेपॅटाटिस बी और सी नहीं होता है, अन्य हेपॅटाटिस के प्रकार खान पान की अनियमित्ता से हो सकते हैं।


डॉ.अलोक मिश्रा ने एक बात का पुरजोर खंडन किया कि हेपेटाइटिस बी या सी होने पर इलाज नहीं है, इलाज है और बहुत क्रोनिक स्टेट पर न पहुंचे इसके लिए लोगों को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, आज बहुत मरीज तब आते हैं जब लास्ट स्टेज पर होते हैं तो डॉक्टर के हाथ सीमित हो जाते हैं, टीकाकरण जरूर कराएं, बच्चियों को सार्विक कैंसर का भी टीका जरूर लगवाएं।

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