“हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का व्रत महत्वपूर्ण माना गया है. साल भर में कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं, उनमें से एक है सोमवती अमावस्या. इस व्रत को महिलाएं करती हैं. मान्यता है कि व्रत करने से ग्रह-नक्षत्र की दिक्कत, लंबी बीमारी, शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. वहीं सोमवती अमावस्या तिथि स्नान-दान का लिए बहुत शुभ मानी गई है.
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित प्रमोद बडोनी ने बताया कि इस साल कार्तिक अमावस्या के दिन ही सोमवती अमावस्या है. यह साल की अंतिम सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या 13 नवंबर को मनाई जाएगी. वैसे तो सभी अमावस्या शुभ होती हैं लेकिन सोमवार और शनिवार के दिन पड़ने वाली अमवास्या खास होती है. इस दिन शिव पूजन करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन गंगा स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.”
शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए करें यह उपाय
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या की शुरुआत 12 नवंबर दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से होगी, जो अगले दिन यानी 13 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर समाप्ति हो रही है, इसलिए उदया तिथि के अनुसार 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी. वहीं स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त 13 नवंबर की सुबह 5 बजकर 20 मिनट से सुबह के 8 बजकर 36 मिनट तक रहेगास
सोमवती अमावस्या पर हरिद्वार के गंगा घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाव
सोमवार को सोमवती का अमावस्या का स्नान पर हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा हुआ है.धर्म नगरी हरिद्वार में सुबह तड़के से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है विश्व प्रसिद्ध हरिद्वार की हर की पौड़ी पर श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली मान रहे हैं और मां गंगा से अपने और देशवासियों के लिए सुख शांति की कामना भी कर रहे हैं सोमवार के दिन पढ़ने वाली सोमवती अमावस्या का एक अलग महत्व होता है जिसको लेकर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हरिद्वार की हर की पौड़ी पर पहुंच कर मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं कहां जाता है सोमवती अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है जिसको लेकर हरिद्वार की हर की पौड़ी पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है और मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के साथ ही दान पुनः भी कर रहे है। श्रद्धालु मानते है की यन्हा आकार उन्हे अद्भुत आनद की अनुभूति होती है। वही तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि आज के दिन गंगा घाटों पर स्नान कर पितृ के निमित दान पुण्य किया जाता है। हालांकि दीपावली के चलते भीड़ में थोड़ा कमी जरूर देखीं गई लेकिन ठंड के बाद भी गंगा भक्तोंका उत्साह देखने वाला था।