गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहें जानें वाले कोटद्वार शहर की राजनीति में पूर्व विधायक शैलेन्द्र सिंह रावत की वापसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा हैँ. भारतीय जनता पार्टी ने शैलेन्द्र सिंह रावत कों अपना मेयर प्रत्याशी बनाकर कोटद्वार की राजनीति में उन्हें फिर से स्थापित करने की जो योजना बनाई हैँ उसके आने वाले समय में दूरगामी परिणाम देखने कों मिल सकतें है.
भारतीय जनता पार्टी में मेयर पद के लिए आधा दर्जन दावेदारों पर तरजीह देकर जिस प्रकार भाजपा ने शैलेन्द्र सिंह रावत कों पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनाया उससे उनका न केवल राजनीतिक कद बढ़ा बल्कि कोटद्वार की सक्रिय राजनीति में एक बार फिर से उनको स्थापित होंने का मौका भी मिल गया हैँ.खुद शैलेन्द्र सिंह रावत भी जानतें हैँ कि यह राजनीतिक मौका उनके राजनीतिक जीवन कों फिर से ऑक्सीजन देने का काम कर सकता हैँ लिहाजा वह इस मौक़े कों भुनाने का पूरा प्रयास करेंगे.
सीएम धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने की शैलेन्द्र की पैरवी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने कोटद्वार से मेयर प्रत्याशी के लिए शैलेन्द्र सिंह रावत के लिए अंत तक अपना वीटो लगाए रखा और इसी का नतीजा हैँ कि आज भाजपा नेता शैलेन्द्र सिंह रावत पार्टी से अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैँ.
कोटद्वार की सक्रिय राजनीति में पैर ज़माने का मिला सुनहरा मौका
शैलेन्द्र सिंह रावत इस चुनावी मैदान कों यदि जीत जाते हैँ तो फिर कोटद्वार की सक्रिय राजनीति में उनका कद बढ़ना तय हैँ. हालांकि यह काम इतना आसान भी नहीं हैँ क्योंकि भाजपा के कुछ नेता नहीं चाहेंगे कि शैलेन्द्र सिंह रावत कोटद्वार की राजनीति में फिर से मजबूत हों क्योंकि उनके लिए फिर 2027 के विधानसभा चुनाव के वह दरवाजे बंद हों जाएंगे जिनके लिए वह अभी से तैयारी कर रहें हैँ.
खुद कोटद्वार से भाजपा विधायक ऋतु खंडूडी भूषण सहित भाजपा के आधा दर्जन स्थानीय नेताओं के लिए भी शैलेन्द्र सिंह रावत की यह एंट्री मुश्किलें खड़ी करने वाली हैँ.क्योंकि शैलेन्द्र सिंह रावत की मेयर के रूप में चुनावी नैया यदि पार लग गई तो फिर उनके पास अपने आप कों विधानसभा चुनाव से पहले कोटद्वार में स्थापित करने के लिए 2 साल का पर्याप्त समय होगा और इन दो सालों में वह अपने सरल स्वभाव और लोकप्रियता के बल पर फिर से कोटद्वार भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार होंगे, जिनके पास फिर अपने आप कों साबित करने के लिए संघर्ष का दौर नहीं होगा, जिसकों वह वनवास के रूप में झेल चुके हैँ.हालांकि भाजपा नेता शैलेन्द्र सिंह रावत का कहना हैँ कि यदि मेयर पद का चुनाव वह जीत जाते हैँ तो वह पूरे 5 साल एक मेयर के रूप में ही कोटद्वार की जनता की सेवा करना चाहेंगे. लेकिन बदलते राजनीतिक हालातों कों देखते हुए भविष्य की संभानाओं कों तों टटोला ही जा सकता है.
स्थानीय कुछ भाजपा नेता शैलेन्द्र सिंह रावत का बिगाड़ सकतें हैँ चुनावी खेल
इस सब के बीच शैलेन्द्र सिंह रावत कों यह बात भी समझ लेनी चाहिए कि भाजपा के कुछ स्थानीय नेता भी नहीं चाहेंगे कि वह फिर से पार्टी के अंदर मजबूती के साथ मेयर के रूप में स्थापित हों इसलिए वह भीतरघात कर उन्हें कमज़ोर करने की कोशिश भी जरूर करेंगे.लिहाजा पूर्व विधायक शैलेन्द्र सिंह रावत कों ऐसे जयचंदों से भी सावधान रहना होगा, जो उनकी चुनावी राह में कांटे बिछा सकतें हैँ.