उत्तराखंड में कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज तेज,मंत्री प्रसाद नैथानी कों बुलाया गया दिल्ली

उत्तराखंड,देहरादून

उत्तराखंड में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदले जानें की चर्चाओं के बीच पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मंत्री प्रसाद नैथानी नें उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक से दिल्ली में मुलाक़ात की हैं.कांग्रेस केंद्रीय आलाकमान के बुलावे पर दिल्ली पहुँचे मंत्री प्रसाद नैथानी नें कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाक़ात की हैं.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कर रहीं हैं जिसमे मंत्री प्रसाद नैथानी का नाम भी शामिल हैं,और इसी को लेकर मंत्री प्रसाद नैथानी को दिल्ली बुलाया गया हैं.उत्तराखंड में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदले जानें की पिछले कुछ समय से सुगबुगाहट चल रहीं हैं और इसी को देखते हुए कांग्रेस का केंद्रीय आलाकमान किसी ऐसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता को उत्तराखंड की जिम्मेदारी सौपना चाहता हैं जों ज़मीनी स्तर से जुडा हों और सभी को साथ लेकर चल सकता हों.हालांकि पूर्व में कांग्रेस आलाकमान द्वारा जिन नेताओं को उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपी गईं वह आलाकमान की उस कसौटी पर खरा नहीं उत्तर पाए जितनी उनसे उम्मीद की गईं थी.ऐसे में अब आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड में ऐसे चेंहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेंदारी सौपनी चाहती हैं जों उत्तराखंड में कांग्रेस के वनवास को खत्म कर उसे सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हों.

छात्र राजनीति से निकलें हैं मंत्री प्रसाद नैथानी

अभिभाजित उत्तर प्रदेश के ज़माने में छात्र राजनीति में सक्रिय रहकर छात्रों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले मंत्री प्रसाद नैथानी नें सड़को पर जों संघर्ष किया वह किसी से छुपा नहीं हैं.छात्र संघ अध्यक्ष,अंशकालिक बेरोजगार संघ के प्रदेश संयोजक रहते मंत्री प्रसाद नैथानी नें छात्रों और बेरोजगारों के हितो की जों लड़ाई लड़ी उसी का परिणाम हैं कि आज हजारों बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में आज भी उनकी प्रशंसा होती हैं.

अभिभाजित उत्तर प्रदेश में मात्र 27 साल की उम्र में बन गए थे विधायक

छात्रों और बेरोजगारों के साथ ही जनहित के मुद्दों को लेकर मंत्री प्रसाद नैथानी द्वारा सड़को पर किए गए उनके संघर्ष का ही यह फल था कि 1989 में मात्र 27 साल की उम्र में वह उत्तर प्रदेश की जनता दल सरकार में विधायक बन गए थे.इस दौरान मंत्री प्रसाद नैथानी द्वारा विधानसभा के अंदर उत्तराखंड की अनेक ऐसी समस्याओं को मजबूती के साथ उठाया गया जिसके निस्तारण के लिए सरकार को कदम उठाने के लिए आगे आना पड़ा.इतना ही नहीं अलग राज्य उत्तराखंड की मांग को लेकर सड़को पर जनता के साथ मिलकर संघर्ष करने वाले यह मंत्री प्रसाद नैथानी ही थे जिन्होने सदन के अंदर अलग राज्य उत्तराखंड की मांग को लेकर पर्चे उछाल दिए थे .मंत्री प्रसाद नैथानी नें तब ज़ोर देकर कहा था कि ज़ब तक अभिभाजित उत्तर प्रदेश सरकार अलग राज्य उत्तराखंड को लेकर केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव नहीं भेजेगी तब तक वह चुप नहीं बैठेंगे.

उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार में बने मंत्री

उत्तराखंड में पहली निर्वाचित सरकार में मुख्यमंत्री पंडित नारायण दत्त तिवारी के मंत्रीमंडल में मंत्री प्रसाद नैथानी को सहकारिता पशुपालन मंत्री बनाया गया.इस दौरान मंत्री प्रसाद नैथानी नें उत्तराखंड का खुद का सहकारिता एक्ट बनाया,जिसने प्रदेश में सहकारिता को मजबूती प्रदान की.

वर्ष 2012 में मंत्री प्रसाद नैथानी के पीडीएफ के समर्थन से बनी कांग्रेस की सरकार

2O12 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देखने को मिली.कांग्रेस पार्टी नें एक ओर जहां 32 सीटें जीती वहीं भाजपा 31जीतने में सफल रहीं.भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टीयां सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गईं.ऐसे में बिना निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की राह किसी की आसान नहीं थी.इस बीच देवप्रयाग विधानसभा से निर्दलयी जीतकर आए मंत्री प्रसाद नैथानी नें बसपा के तीन विधायकों और निर्दलयी विधायकों के साथ मिलकर पीडीएफ का गठन कर दिया,जिसे सत्ता की चाबी कहा जा रहा था,क्योकि बिना पीडीएफ के समर्थन के कांग्रेस और भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी. उधर भारतीय जनता पार्टी नें कांग्रेस कों सत्ता से दूर रखने के लिए पीडीएफ के अध्यक्ष मंत्री प्रसाद नैथानी कों मुख्यमंत्री बनने और पीडीएफ के कुछ दूसरे सदस्यों कों भी मंत्री बनाने का प्रस्ताव उनके सामने रखा.लेकिन मंत्री प्रसाद नैथानी नें भाजपा के इस प्रस्ताव कों दरकिनार करतें हुए कांग्रेस कों पीडीएफ के समर्थन की घोषणा कर दी.इसके बाद पीडीएफ के समर्थन से विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बन गए.करीब 2 साल के कार्यकाल के बाद विजय बहुगुणा कों हटाकर कांग्रेस नें उत्तराखंड की कमान हरीश रावत कों सौप दी.इस दौरान पीडीएफ नें हरीश रावत कों भी अपना समर्थन ज़ारी रखने का एलान कर दिया.

कांग्रेस के 9 बागी विधायकों नें हरीश रावत सरकार का किया तख्ता पलट

कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के 9 विधायकों नें हरीश रावत सरकार का तख्ता पलट कर दिया.इन विधायकों कों फिर दलबदल कानून के तहत विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया.पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सहित कांग्रेस के 9 बागी विधायकों में जों बीजेपी में शामिल हुए उनमें अमृत रावत, शैलेंद्र मोहन, कुंवर प्रणव सिंह, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, शैला रानी रावत और उमेश शर्मा शामिल थे.जिन्हें बाद में आयोग्य करार दें दिया हैं.

कोर्ट में आदेश पर फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत फिर बने मुख्यमंत्री

कांग्रेस के 9 बागी विधायकों कों लेकर चली कानूनी लड़ाई के बाद ज़ब फिर से फ्लोर टेस्ट हुआ तों हरीश रावत फिर से मुख्यमंत्री बने,और इस दौरान भी मंत्री प्रसाद नैथानी और पीडीएफ उनके साथ खड़ा रहा.इस दौरान मंत्री प्रसाद नैथानी नें कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करतें हुए कहा कि वह धर्म के नाम पर समाज कों बाँटने वालों के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ते रहेंगे.

पूरे प्रदेश में जनाधार वाले बड़े कद के नेता हैं मंत्री प्रसाद नैथानी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी उत्तराखंड के सभी 13 ज़िलों में अपनी विशेष पहचान रखते हैं.कांग्रेस पार्टी नें उन्हें जों भी दायित्व दिया उसका उन्होंने पूरी ईमानदारी और निष्ठापूर्वक निर्वाहन किया हैं.हमेशा विवादों से दूर और धार्मिक प्रवृति के रहें मंत्री प्रसाद नैथानी की यह जनता के बीच लोकप्रियता ही हैं कि आज पूरे प्रदेश में उनकी छवि साफ-सुथरी और ईमानदार नेता के रूप में बनी हुईं हैं.
देवभूमि उत्तराखंड कों तीर्थाटन प्रदेश बनाने की दिशा में पिछले 25 सालों से राज्य में अपने संसाधनों से भगवान विश्वनाथ जगदीशिला डोली की हजारों किमी की रथ यात्रा के जरिए मंत्री प्रसाद नैथानी विश्व शान्ति,जग कल्याण और उत्तराखंड में एक हजार नए धाम चिन्हित करने के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहें हैं.

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