भारत का अनोखा गांव, जहाँ सें निकलतें और IAS और IPS अधिकारी

भारत कें एक बड़े राज्य में एक अनोखा गांव ऐसा भी हैँ जहां हर घर से निकलते हैं IAS और IPS अधिकारी. इतना ही नहीं इस गांव में एक परिवार तों ऐसा भी जहाँ एक ही परिवार में 5 IAS अधिकारी हैँ. सुनने में अटपटा जरूर लग रहा होगा लेकिन एक बात एकदम सच हैँ, कि इस गांव कों कहा ही जाता हैँ कि यह IAS और IPS कि खान वाला गांव हैँ.जी हाँ हम बात कर रहें हैँ देश कें सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश कें जौनपुर जिले कें माधोपट्टी गांव की.(Madhopatti Village), जिसे अफसरों का गांव भी कहा जाता है.

माधोपट्टी गांव की यह हैँ खासियत 

जौनपुर जिले के माधोपट्टी गांव में मात्र 75 परिवार ही हैं और इन परिवारों कें 47 आईपीएस और आईएएस ऑफिसर हैं, जों अपने राज्य सहित पूरे देश में सेवा दे रहें हैं. दिलचस्प बात तो यह है कि इस गांव कें लोग आज़ादी के वक़्त से पहले प्रशासनिक सेवा में कार्यरत रहे हैं. और आज भी वही परंपरा गांव में जारी है.यूपी के जौनपुर जिले के अंतर्गत आने वाले माधोपट्टी गांव जिला मुख्यालय से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर बसा है. इस छोटे से गांव में सिर्फ 75 घर है और हर घर में 1-2 आईएएस आईपीएस ऑफिसर हैं.इतना ही नहीं इस गांव नें न सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी देश कों दिए हैँ बल्कि देश-विदेश की बड़ी संस्थाओं कें साथ ही वैज्ञानिक और इंजीनियर,चार्टर अकाउंटेंट भी इस गांव नें दिए हैं.

 

गांव कें सभी अधिकारी एक साथ मनातें हैँ तीज त्यौहार 

माधोपट्टी गांव में जब कोई त्यौहार होता है तो देश भर में सेवा दे रहे  गांव के अधिकारी परिवार के साथ त्यौहार मानाने के लिए आते हैं. दिवाली में तो रंगबिरंगी लाइटों से ज़्यादा नीली बत्ती वाली गाड़ियां इस गांव में दिखाई देती हैं. वाकई एक गांव में इतने सारे आईपीएस आईएएस का होना बड़ी बात है. इस गांव की आबादी की यदि बात करें तों वह मात्र 800 है और इस छोटी सी आबादी में सें भी 47 लोग आईएएस आईपीएस अधिकारी हैं.

एक परिवार सें तों 5 आईएएस अधिकारी बननें का बना हैँ रिकार्ड 

माधोपट्टी गांव में एक परिवार ऐसा भी है जहां सबसे ज़्यादा IAS अधिकारी पैदा हुए हैं. यह अपने आप में रिकॉर्ड है. साल 1995 में परिवार के बड़े बेटे विनय सिंह ने सबसे पहले सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की थी, रिटायरमेंट के पहले वह बिहार के मुख्य सचिव बन चुके थे. वहीं भाई छत्रपाल सिंह, अजय कुमार सिंह भी साल 1964 में आईएएस बने थे. इसके बाद परिवार के सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह साल 1968 में आईएएस बने और शशिकांत के बेटे यशस्वी सिंह साल 2002 में आईएएस बने. उन्होंने पूरे देश में 31वीं रैंक हासिल की थी.

गांव की बेटियां भी IAS और IPS बननें में हैँ अब्बल 

गांव की बेटियों ने भी सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर अधिकारी बनी है. आशा सिंह, उषा सिंह, इंदु सिंह और सरिता सिंह भी एक ही परिवार से नाता रखती हैं और सभी अधिकारी हैं.

माधोपट्टी गांव का पहला IAS अधिकारी

साल 1914 में माधोपट्टी गांव को पहला आईएएस अफसर मिला था. उनका नाम मुस्तफा हुसैन था. वह साल 1914 में डिप्टी कलेक्टर बने थे. वहीं देश की आज़ादी के बाद साल 1952 में इंदु प्रकाश सिंह पहले आईएएस बने थे जो फ़्रांस सहित कई देशों के राजदूत रहें.